नेतृत्व साधना केंद्र रायपुर में, युवाओं द्वारा संचालित एक सामाजिक संगठन है जो अपनी ऊर्जा और उत्साह को अपने मूल संगठन "बचपन बनाओ" (www.bachpanbanao.com) के लंबे कार्य अनुभवों से प्राप्त करता है| बचपन बनाओ संस्था, छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रही है। दंतेवाड़ा राज्य का एक प्रमुख जनजातीय जिला है जो वामपंथी उग्रवाद से भी प्रभावित है। बचपन बनाओ संस्था 2012 से वहां विभिन्न जिला कलेक्टरों और स्थानीय प्रशासन के साथ समन्वय में काम कर रही हैं। कार्य क्षेत्र के विशिष्ट और कभी-कभी अद्वितीय भौगोलिक, सामाजिक और सांस्कृतिक पहलू को ध्यान में रखते हुए, विभिन्न शैक्षिक कार्यक्रमों और स्थानीय पहलों को डिजाइन करते समय सीखे गए सबक और जिला प्रशासन के समन्वय में जमीनी स्तर पर इसके कार्यान्वयन के दौरान प्राप्त अनुभवों ने इस परियोजना को शुरू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसकी स्थापना 2019 दिसम्बर में हुई|
छत्तीसगढ़ के सामाजिक, राजनितिक इतिहास की ओर देखे तो हमे एक समृद्ध, सतत प्रगतिशील और प्रेरणापूर्ण इतिहास मिलता है | जिससे प्रेरित होकर प्रदेश की पीढियां भविष्य को नेतृत्व प्रदान कर सकती है | प्राचीन काल से, चाहे 7वीं सदी में महाशिवगुप्त बालार्जुन के समय का सामाजिक सदभाव हो और कला क्षेत्र में उत्तरोत्तर प्रगति, चाहे मध्यकाल में कल्याण साय की राजस्व व्यवस्था,जिसे माना जाता है कि जो अकबर की राजस्व व्यवस्था के पूर्वगामी और उसे प्रभावित करने वाली थी, 18वीं सदी में गुरु घासीदास और फिर बाद में सुन्दरलाल शर्मा के नेतृत्व में छुआछुत, जाति व्यवस्था और समाज की कुरूतियों के विरुद्ध शुरू हुआ समाज सुधार का कार्य, 18वी सदी से ही गेंदसिंह, नागुल दोर्ला, धुर्वा राव, गुंडाधुर, प्रवीरचंद्र भंजदेव आदि के नेतृत्व में आदिवासियों द्वारा उनके शोषण के विरुद्ध किये गये अनेक आन्दोलन,1920 में ठाकुर प्यारेलाल सिंह से लेकर 90 के दशक में शंकर गुहा नियोगी के नेतृत्व में मजदूरो के अधिकारों के लिए हुए अनेक आन्दोलन तक, महिला नेत्रियों में वीरांगना दयावती, मिनीमाता, रोहिणी बाई द्वारा स्वतंत्रता संग्राम, राजनीती और समाज सुधार में निभाई गयी भूमिका, फिर ग्रामीण और कृषक समुदायों के हितों को लेकर खूबचंद बघेल का संघर्ष, आध्यात्मिकता के क्षेत्र में भी छत्तीसगढ़ में जन्मे महर्षि महेश योगी का वैश्विक पटल पर अद्भुत नेतृत्व और फिर आधुनिक भारत में गाँधी के मूल्यों और नैतिकता पर आधारित राजनीती से 80 और 90 के दो दशक तक सांसद रहे केयूर भूषण जैसे राजनेता जैसे नाम| माधवराव सप्रे द्वारा सन 1900 से ही “छत्तीसगढ़ मित्र” ”हिन्द केसरी” जैसे समाचार पत्र का प्रकाशन, आनद स���ाज पुस्तकालय की स्थापना कर स्वतंत् और निर्भीक पत्रकारिता और ज्ञान पर आधारित समाज की परिकल्पना का उदाहरण हमारे समक्ष आदर्श के रूप में विद्यमान है| इनके अलावा भी अनेक महानुभाव हुए है जिन्होंने प्रदेश को विभिन्न क्षेत्रो में अलग अलग समय में नेतृत्व प्रदान किया है
व्यक्ति आधारित नेतृत्व के अतिरिक्त भी प्रदेश में समूहों के द्वारा सामूहिक नेतृत्व की भी अद्भुत झलक देखने को मिलती है यहाँ समाज का एक बड़ा तबका कबीरपंथी कहलाता है जो कबीर के संदेशो के आधार पर जाति व्यवस्था और सामाजिक कुरूतियो और पाखंडों के विरुद्ध जीवन की व्याख्या करते है, जबकि देखा जाये तो संत कबीर के जीवन काल में उनका मुख्य प्रभाव क्षेत्र उत्तर भारत के मैदान ही रहा है| साथ ही हम देखते है कि 19वीं सदी के मध्य से ही महानदी के आस पास के क्षेत्रों में रीडिंग क्लब, पुस्तकालय, विज्ञान और साहित्यिक समितियां बनानी शुरू हो चुकी थी इनमे वाद-विवाद समिति(1857), विज्ञान और साहित्यिक समिति(1870), रायपुर रीडिंग क्लब आदि कुछ नाम प्रमुख है जिससे यह स्पष्ट होता है की प्रदेश के जन मानस में ज्ञान, वैज्ञानिक मूल्यों और तर्क पर आधारित नेतृत्व का लम्बा इतिहास रहा है जो वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लिए आदर्श प्रस्तुत करता है |
वहीँ वर्तमान में नज़र डालें , 2011 के छत्तीसगढ़ के जनसांख्यिकी आंकड़ों से पता चलता है कि इसकी कुल जनसंख्या का लगभग 40% आबादी अभी भी गरीबी रेखा (BPL) से नीचे जीवन व्यापन करती है, आधे से अधिक, ग्रामीण अनुसूचित जनजाति(ST) और शहरी अनुसूचित जाति(SC) समुदाय के परिवार गरीबी रेखा से नीचे जीवन व्यापन करती है वहीँ सिर्फ दोनों समुदाय ही, राज्य की कुल जनसंख्या का 50% से अधिक हैं। इनके अतिरिक्त बड़ी संख्या में सामान्य वर्ग(General), OBC, अल्पसंख्यक वर्ग की आबादी भी है जो प्रतिदिन गरीबी का दंश झेलती है| प्रदेश के क्षेत्र का लगभग 44% भाग वनों से आच्छादित है और इसके काफी हिस्से सुदूर क्षेत्र हैं,जहाँ आधारभूत आधुनिक सुविधाएँ जैसे मोबाइल नेटवर्क, स्वस्थ्य सुविधा, उच्च शिक्षा आदि भी नही पहुँच सकी है|
इस प्रकार इतिहास के नेतृत्व से प्रेरणा लेते हुए और वर्तमान की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में परिवर्तन का संकल्प मन में रखे हुए नेतृत्व साधना केंद्र की स्थापना की गयी है|